۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
غزہ

हौज़ा/राष्ट्रपति सैयद मोहम्मद इब्राहीम रईसी ने तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तय्यब अर्दोग़ान से टेलीफोनी वार्ता में कहा कि ग़ज्ज़ा के लोगों के पास हमास की क़ानूनी सरकार थी और इस क्षेत्र के लोगों को अपने भविष्य के बारे में फैसला करना चाहिये और गज्जा पट्टी के लोगों के भविष्य के बारे में अमेरिका को फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ईरान के राष्ट्रपति ने बल देकर कहा है कि ग़ज्ज़ा के भविष्य के बारे में फैसले का अधिकार वहां के लोगों को है और इस संबंध में अमेरिकी हस्तक्षेप निंदनीय है।

राष्ट्रपति सैयद मोहम्मद इब्राहीम रईसी ने तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तय्यब अर्दोग़ान से टेलीफोनी वार्ता में कहा कि ग़ज्ज़ा के लोगों के पास हमास की क़ानूनी सरकार थी और इस क्षेत्र के लोगों को अपने भविष्य के बारे में फैसला करना चाहिये और गज्जा पट्टी के लोगों के भविष्य के बारे में अमेरिका को फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है।

हमास और अवैध जायोनी सरकार के मध्य चार दिवसीय अस्थाई युद्धविराम का आज चौथा और आखिरी दिन है। जायोनी सरकार के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से टेलीफोनी वार्ता में बल देकर कहा है कि युद्धविराम की समाप्ति के बाद वह अपने हमलों को दोबारा आरंभ कर देंगे पर साथ ही सांकेतिक रूप से उन्होंने बंदियों की रिहाई के बदले युद्ध विराम की अवधि बढ़ाये जाने का स्वागत किया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस टेलीफोनी वार्ता में दावा किया है कि दो सरकारों का विकल्प इस्राईल और फिलिस्तीन के मध्य जारी विवाद का एकमात्र समाधान है और अमेरिका इस लक्ष्य की प्राप्ति से पीछे नहीं हटेगा।

75 साल से अधिक समय से अवैध जायोनी सरकार ने फ़िलिस्तीनियों के खिलाफ अत्याचारों और अपराधों का सिलसिला जारी कर रखा है और इस अवधि में कई लाख फिलिस्तीनी शहीद व घायल हो चुके हैं जबकि जायोनी सरकार ने चालिस लाख से अधिक फिलिस्तीनियों को ज़बरदस्ती उनकी मातृभूमि से निकाल दिया है और वे दूसरे देशों में शरणार्थी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

सात अक्तूबर से आरंभ होने वाले अलअक्सा तूफान में अतिग्रहणकारी जायोनी सरकार को जो अपूर्णीय क्षति पहुंची है उसके बारे में अमेरिकी या जायोनी अधिकारी खुलकर बात करने से कतरा रहे हैं पर जो बात निश्चित है वह यह है कि जायोनी सरकार को अपने अवैध अस्तित्व के पूरे इतिहास में इस प्रकार का नुकसान कभी नहीं पहुंचा था।

फिलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं ने इस्राईल को वह कुठारा घात लगाया है जिसकी न तो इस्राईल ने कभी कल्पना की थी और न ही उसके आक़ाओं ने किया था।

इस्राईल के पूरे इतिहास में कभी भी अमेरिका और उसके सहयोगियों ने इस तरह से उसकी खुलकर मदद नहीं की थी। अमेरिका ने सैन्य हथियारों से इस्राईल की खुलकर की।

यही नहीं उसने अपने सैनिकों को भी इस्राईल की मदद के लिए भेजा और इस्राईल ने बड़े अहंकार से कई बार कहा था कि हमास के कब्ज़े में जो इस्राईली बंदी हैं उनकी रिहाई के बाद युद्धविराम की बात की जायेगी परंतु सात अक्तूबर से आरंभ होने वाले अलअक्सा तूफान ऑप्रेशन के बाद से इस्राईल ने फिलिस्तीन के मज़लूम के लोगों के खिलाफ किसी भी अपराध व पाश्विक हमले में संकोच से काम नहीं लिया और हमास के नियंत्रण में जायोनी बंधकों को आज़ाद कराने की पूरी कोशिश की परंतु वह एक बंधक भी आज़ाद नहीं कर पाया।

इस्राईल ने गज्जा पट्टी पर भीषण बमबारी की इस तरह से कि गज्जा शहर एक खंडर में बदल गया परंतु इस्राईल न तो हमास को खत्म कर पाया और न ही अपने एक बंदी को आज़ाद करा पाया।

सारांश यह है कि जब इस्राईल और अमेरिका को पूरा विश्वास हो गया कि वह ताक़त के बल पर एक भी बंदी आज़ाद नहीं करा सकते तो मजबूर होकर युद्धविराम कर लिया। जानकार हल्कों का मानना है कि यह युद्ध विराम नहीं है

बल्कि इस्राईल और उसके मुख्य समर्थक अमेरिका और उसकी हां में हां मिलाने वालों की खुली पराजय है और इस्राईल ने अपनी हार और फज़ीहत को छिपाने के लिए हमास से युद्ध विराम कर लिया। अमेरिका के पूर्व सैनिक अफसर की उस बात को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है जिसमें उसने युद्ध विराम को हमास की महत्वपूर्ण कामयाबी और इस्राईल की अपमान जनक पराजय कहा है।

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